Showing posts with label poem. Show all posts
Showing posts with label poem. Show all posts

Friday, March 27, 2009

सब कुछ चलता हैं!



आज कल यह एक ख्वाब रात भर सताता है,
आँखें जब खुलती हैं वो ख्वाब टूट जाता है,
ख्वाब टूटता है तब दिल ज़रासा जलता है,
पर क्या करें यार, अब तो सब कुछ चलता हैं!

पता नहीं क्यूँ पर तन्हा घूमना रास आता हैं,
पता नहीं क्यूँ भीड़ में दिल घबराता है,
फिर भी दूसरो को खुश देखके मनन में कुछ खलता है,
पर क्या करें यार, अब तो सब कुछ चलता हैं!

तू अगर अच्छा है, सच्चा है, तो तेरी यहाँ जगह नहीं,
यही आज की रीत है, इसकी कोई वजह नहीं,
सबको अपनाने वाला आखिर में सिर्फ हाथ मलता हैं,
पर क्या करें यार, अब तो सब कुछ चलता हैं!

दुनिया अब किसी की नहीं रही, सब अपने में मस्त है,
दोस्ती एक नाकामयाबी है, ख़ुशी गंगा में अस्त हैं,
दोस्तों, सिर्फ अपनी सोचो, अब इसी में सफलता है,
क्या करें यार, अब सिर्फ यही चलता है!!

मिलना है तुमसे, बहुत कुछ कहना है
जुदाई यह कुछ भी नहीं, आगे बहुत कुछ सहना है
मिएँगे कभी, साथ रहेंगे, यह अरमान दिल में पलता है,
पर क्या करें यार, अब तो सब कुछ चलता हैं!

Adios.
Regards,
Kunal Lodha
Powered By Blogger